Thursday, January 13, 2011

अविश्वास प्रस्ताव का प्रावधान खत्म करने पर रोक

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश के तहत नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 53 को हटाने के अध्यादेश पर रोक लगा दी है। इस अध्यादेश के तहत स्थानीय निकाय सदस्यों की ओर से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने से संबंधित प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश प्रकाश टाटिया की खंडपीठ ने यह आदेश भीनमाल नगरपालिका (जिला जालोर) के उपाध्यक्ष जयरूपाराम माली की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के तहत दिए। न्यायालय ने इस संबंध में राज्य सरकार व भीनमाल नगरपालिका अध्यक्ष हीरालाल बोहरा को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा है।

पीएम व सीएम से ज्यादा छूट!

याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के धारा 53 को हटाने संबंधी अध्यादेश को असंवैधानिक बताते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनकी ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का प्रावधान स्वायत्तशासी संस्थाओं की जवाबदेही व जिम्मेदारी के लिए आवश्यक है। भारत का संविधान प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख पदों के विरुद्ध भी इस प्रकार की पाबंदी नहीं लगाता। ऐसे में नगरपालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को ऐसी छूट देना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

क्या किया था सरकार ने: राज्य सरकार ने यह अध्यादेश 25 नवंबर 2010 को जारी किया था। अध्यादेश के बिंदु 3 के माध्यम से नगरपालिका अधिनियम की धारा 53 को पूरी तरह हटा दिया। इस अधिनियम की धारा 53(1) के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था, जबकि धारा 53(2) के तहत बोर्ड के गठन के एक वर्ष के बाद ही सदस्य अविश्वास प्रस्ताव रख सकते थे। इसी तरह धारा 53(3) के तहत यह प्रावधान था कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने पर यह दोबारा दो वर्ष तक नहीं लाया जा सकता। धारा 53 को हटाने से अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने संबंधी गुंजाइश ही समाप्त हो गई।

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